Thursday, 2 June 2016

मैं भारत मां का सुपुत्र हुं


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मैं भारत मां का सुपुत्र हुं
इस धरती के लिये खुद को मिटा सक्त हुं ।

इसके लिये लाखोने बलीदान दिया
तभी  आजादी इस राष्ट्र को हमने पायी
ये आजादी न लाठी से न बिन ढाल से आई
इन असंख्य विरोका लहू दे कर हमने अंग्रेजो से छीनी है ।

क्या भगतसिंग  राजगुरो  मर मीट ने  का मोल नही
इन वीरो कि  आजादी के धग धग ते कुंड में
बैठे  बैठे अपने आजादी कि  सेकी रोटीया  खायी।

तैयार थे हम ओर बलीदानोको
हमे चाहिये  थी  पुरी आजादी
कुछ सत्ता के भुके वालोने
खंडीत आजादी भिक में पाई ।

यदी सुनते ये कुछ  सुभाष बाबू या पटेल जी का
आज हम न रोते बिलगते आतंकी हमले पर
झुटे का सौदा झुटा यही कहानी है इनकी
इन गद्दारोने लुटा हमको बलीदानोका वास्ता दे कर।

फिर हम न हार मानेंगे
इस मा को इनके साये से भी दूर हटायेंगे
इन गद्दरो को आछी सबक सिखायेंगे ।

सुनील  ३/६/१६








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