क्या हमारे देश को मुफत में खाने आदत लगी है
मैं मेरे CR मॅनेजरः से एक केस के सिलसीले ( इन्शुरंस ) में बात कर रहा था । ग्राहक का केहना था की मेरा जितना भी काम है उसे इन्शुरंस मे कव्हर करदो और CR मॅनेजर की त्रासदी यह थी की जो रिपेअर ग्राहक चहताथा ओ आक्सीडेंटल डॅमेज नाही था ।
याही लोगोंकी इछा आज सर्व्हिस सेकतर में दाम उंचा होने का कारण बन रहा है । जितने भी दाम बढते है
इसमें ये कारण प्रमुखता से है ।
ये मुफतखोरी की आदत ही है जिसकी वजह से बझार अपना रुख बदलके तेजी की ओर बढ रहा है दी । हम यदी इसका ओर गहराही से अध्ययन करेंगे तो हमे दाम बडाने के ऐसे बहुत करणो का पता चलने लगेगा जिससे ये मुफतखोरी ही सबसे बडा कारण बनती है ।
ये मुफतखोरी प्राय : सभी स्तर में पायी जाती है । गरीब से लेकर धनवानो तक इसमें सभी वर्ग के लोग पाये जाते है । दुर्भाग्य याही है की इसमें जादातर वही लोंग है जिनके पास सबकुछ होते हुवे भी ये लोग मुफत पाने की चक्कर मे लालाइत होते है ।
आज बहोत सारी कंपनीया इन्ही लोगो के मुफत पाने का लालच अपने विपणन का आधार बना रही है । और ग्राहक को ठगा जा रहा है । ये लोग जरुरत न होने परभी वस्तूये की खरीद कर बाजार का संतुलन बिगाड रहे है ।
इन लोगो की वजह से सरकार भी टँक्स बडा रही है । शासन यंत्रणा भी इस मुफतखरी की शिकार बन गइ है ।
इनमें जितने भी लोकनेता या अफसर है इन्को हर एक चीज अधिकार के तहत मुफत चाहिये । इसमें हम सब लोंग दुसरे की तरफ उंगली उठाके अपने को जायज ठहराने की कोशीश करने में लगे है ।
यदी हम लोंग हमारे भारत को २० वी सदी मे एक संप्पन देश बनाना चाहते हो तो इस मुफतखोरी से छूटकारा पाना होगा । ना हम मुफत में कुछ लेंगे ना दुसरो को मुफत लेने देंगे ।
मै आपको ये आवाहन करता हूं हम इस देश को मुफतीखोरी से आजाद करायेंगे ।
चलो इस देश को " फ्री मुक्त भारत " बनायेंगे
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