Sunday, 17 July 2016

लहू का घुट पिलेता हुं |

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मै चिखता चिल्लता हूं 
आखरी उनके बजाय अपने ही 
लहू का घुट पिलेता   हुं  ।

जब कोई नराधम करता है 
मासूमो पे अत्याचार या कई 
होती है निरपराध की हत्या। 

मै चिखता चिल्लता हूं 
आखरी उनके बजाय अपने ही 
लहू का घुट पिलेता   हुं  ।

जब होता है भ्रष्टाचार 
या काले धंधे का ब्यापार 
या कोई मिलावट करती है 
मौत का कारोबार ।

मै चिखता चिल्लता हूं 
आखरी उनके बजाय अपने ही 
लहू का घुट पिलेता   हुं  ।


आतंक फैलता है जाती जाने 
या होते शासन के अत्याचार 
जिससे उजडतें है संसार ।




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