ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का बयान
"‘This is OUR COUNTRY, OUR LAND, and OUR LIFESTYLE, and we will allow you every
opportunity to enjoy all this. But once you are done complaining, whining, and griping
about Our Flag, Our Pledge, Our Christian beliefs, or Our Way of Life, I highly encourage
you take advantage of one other great Australian freedom, ‘THE RIGHT TO LEAVE‘.’"
ये बयान शायद ही कोई राजकीय नेता दे सकता है ।
आज के जमाने में जहाँ पुरा विश्व् सिमट रहा है । देशो देशी कि सीमाये लुप्त हो राही है । याही हालत में मा. प्रधान मंत्री का
ये बयान बहुत महत्व पूर्ण है ।
विश्व् में एक बडी समस्या आतंकवाद के रूप में उभरकर आ रही है जिसके कारण विश्व् अपनी नागरिकता
प्रणाली एवं परदेशी नागरिक के अधिकार पर पुनर्विचार करणे के लिये बाध्य हो रह है ।
आज लगबग सभी देशो में ये आतंकवाद बाहरसे बसे लोगो से पनप रहा है ओर उनका मूल स्तोत्र देश के
बाहर पाया जाता है ओर उसीलीये ऊस समुदाय को चेतावणी देणे के लिये शायद उन्होने इतने कठीण
शब्दोको चुना है ।
भारत आतंकवाद के प्रती विश्व् को बहुत बार सचेत करने कि कोशीश करता रहा है लेकिन दुर्भाग्यवश उसे
हमेशा इस पश्चिमात्य देशोने भारत पाकिस्तान मसला समझ के टाल दिया था ।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने जो कहा है उसमे कोई गलत लगना नही चाहिये उन्होने अपने देश के मानचिन्ह
सर्वोत्तम है ओर उसके अलावा किसी भी मान चीन्हो का सार्वजनिक रूप से मानने को इन्कार किया है ।एक
सार्वभौम प्रदेश का ये अधिकार है कि वह अपने देश में सार्वजनिक रूप में होनेवाली गतिविधिया किस प्रकार
कि हो इसपर नियंत्रण रखना चाहता है ।
इस समस्या पर यदी सभी देश अपना स्वार्थ छोडकर सम्मिलीत होते है ओर जड से इस विषय को कटके इसका निराकरण करते है तो हि ये समुचा विश्व इस समस्या से निजाद पा सकता है ।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का बयान से शायद इसका आगाज हुवा है ।
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