सीमाओंको मत लाँघो
अब हमारा खून ना खोलो
बहुत ढाहे है अत्याचार हम पर
चुप चाप हमने भी सहे है
जब उतरेंगे हम रणपर
तांडव होगा सीमाओंपर
सीमाओंको मत लाँघो
अब हमारा खून ना खोलो
जल थल आकाश सारी सीमाए तुट पड़ेगी
त्राही त्राही मच जाएगी
न समझे हमे बुजदील
शांती का आदर करते है हम
सीमाओंको मत लाँघो
अब हमारा खून ना खोलो
ये बुजदील हमे न ललकारो
हम छुपकर करते नही वार पीठ पे
सामनेसे सिनेपर घाव करते है
तुझे क्या दुनियाको परास्त करने की ताकत रखते है
सीमाओंको मत लाँघो
अब हमारा खून ना खोलो
खायी है तुमने शिकस्त बार बार
अभीभी अक्कल नही आयी तुमको
अबकी बार ऐसी शिकस्त होगी
न बचेगा अस्तित्व ना बचेगा नामो निशान
No comments:
Post a Comment