Thursday, 29 September 2016

सीमाओंको मत लाँघो अब हमारा खून ना खोलो




सीमाओंको मत लाँघो 
अब हमारा खून ना खोलो 

बहुत ढाहे है अत्याचार हम पर
 चुप चाप हमने भी सहे है 
जब उतरेंगे हम रणपर  
तांडव होगा सीमाओंपर 

सीमाओंको मत लाँघो 
अब हमारा खून ना खोलो

जल थल आकाश सारी सीमाए तुट पड़ेगी
 त्राही त्राही मच जाएगी 
न  समझे हमे बुजदील 
शांती का आदर करते  है हम 

सीमाओंको मत लाँघो 
अब हमारा खून ना खोलो

ये बुजदील हमे न ललकारो 
हम छुपकर करते नही वार पीठ पे 
सामनेसे सिनेपर घाव करते है 
तुझे क्या दुनियाको परास्त करने की ताकत रखते है 

सीमाओंको मत लाँघो 
अब हमारा खून ना खोलो

खायी है तुमने शिकस्त बार बार 
अभीभी अक्कल नही आयी  तुमको  
अबकी बार ऐसी शिकस्त होगी 
न बचेगा अस्तित्व ना  बचेगा नामो निशान 



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