आई च म्हणे नसत वेगळं
अस्तित्व
नाळेतूनच बाळाला तीन दिल असत
सत्व
आई जवळ नसत स्वतःच वेगळं
पांघरून
म्हणूनच घेते नउ महिने गर्भातच
सावरून
शरीर वेगळं झालं तरी डोळ्यासमोर हवा असतो
तान्हा
म्हणूनच तर तिला फुटतो हृदयातूनच
पान्हा
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माँ सोचती नही कभी अपना अस्तित्व
इसीलिये तो
गर्भनाल से ही देती है पूरा सत्व।
माँ के पास नही होता अपनासा बिस्तर
इसीलिये तो
नौ महिने गर्भ का डाल देती है अस्तर
तीलमीला उठती है जब शरीर से दूर उस्का ननाह
इसीलिये तो
अपने हि ह्रदय के पस ही देती है उसको पनाह
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