फटाके कि आवाज से गुंजती
तब हमे लगती दिवाली
दिवाली में फटाके ना जलाऊ
तो फिर दिवाली कैसे मनाऊ
लाडू चिवड़े से बनती है फराल की थाली
फराल खाने से ही जमती है दिवाली
घरवाली बोलती तबीयत ठीक नही थाली ना जमावों
लाडू चिवड़ा न खाउ तो फिर दिवाली कैसे मनाऊ
रौशनी से झगमग उठता है शहर
रौशनी का त्यौहार ये रौशनी से ही लगती दिवाली
बिजली बचावो वालो ने लगाई रौशनी पर पाबंदी
रौशनी न करू तो दिवाली कैसे मनाऊ
फिर भी मनाता हूं प्रदूषण मुक्त दिवाली
हम नही संभले तो हमारे अगले कैसे मनाएंगे दिवाली
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