घर घर के दिप सरहदो पे बुझ रहे है
त्योहार ये दिप का दिपावली मै कैसे मनावू
वो मौत को गले लगाते
कैसे गले से उतरेगी मिठाई
उनके जाने से बसा हुवा घर उजडता
घर में अंधेरा छा जाता
मै कैसे सजावू घरको कैसे करू रोषणाई
विजय गान गाते लौटेंगे घरपे
तभी होगी रोशनी तभी दावते मिठाई
तभी मनायेंगे दीप का उस्तव दीपावली
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