दोस्त युंही नही मिलते
अगर आप बढायेंगे ना कदम
किसीके ओर
तो कोण बढायेगा कदम
आपकी ओर
दोस्त युंही नही मिलते ।
आप जात धर्म लिंग पंथ
से उपर उठके न थामेगे
हात किसीका
तो कोण बढायेगा थामाने
हात आपका
दोस्त युंही नही मिलते।
अपने किया है किसी पर
आख बंद कर के
भरवसा
या आप करणे लायक है
दिल के राज खोलणे का
भरवसा
दोस्त युंही नही मिलते ।
यदी आप दे सकते
मरमीटने का दिलासा
दे सकते न छोड ने का भरवसा
तो दोस्त युंही मिलते है।
सुनील
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