Tuesday, 31 May 2016

चार पंक्तीया

चार पंक्तीया 


वतन ही मेरा तन है                                                    
वतन ही मेरा मन  है
मैं चाहू इसे जुदा करू
तन मन ही मेरा वतन है


जो भी चला पथ पर मेरे
जो भी चला साथ मेरे
वो हुवा जीवन साथी मेरा
उसे जुदा करूंगा अंतरंग से मेरे


तूने इसे जननी माना
तूने इसे जन्मभूमि माना
तू इसे जननी जन्मभूमि मानता

मैने इसे माता माना

चार पंक्तीया 

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