चार पंक्तीया
वतन ही मेरा
तन है
वतन ही मेरा
मन है
मैं चाहू इसे
जुदा करू
तन मन ही
मेरा वतन है
जो भी चला
पथ पर मेरे
जो भी चला
साथ मेरे
वो हुवा जीवन
साथी मेरा
उसे न जुदा करूंगा अंतरंग से मेरे
तूने इसे जननी माना
तूने इसे जन्मभूमि
माना
तू इसे जननी जन्मभूमि
मानता
मैने इसे माता माना
चार पंक्तीया
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