Deve Gowda's shocking admission: So what if my MLAs asked for money.
ये हमारे राष्ट्र की त्रासदी है । की पुरी राजकीय व्यवस्था इस पैसे की इर्द गिर्द पुरी तर्हा फ़ैली है ।
सभी व्यवस्था मैं यह जहर ऐसे फ़ैला है कि पुरी व्यवस्था तहस नहस हो
गई है ।यदी कोई इसे साफ करना चाहता है तो ये व्यवस्था उसे ह्टाती है ।
इसके अनेक उदाहरण हमे गत साठ साल में देखने मिलते है । यदी इसे साफ करना है तो केवल इसका सही नुस्का हम मतदाऱो के पास है । यदी हम लोग एसे लोगोंको इस व्यवस्था से बाहर करदे ओर ये हमे मुमकिन है तो ये सारी व्यवस्था आछे पथ पर लाने की कोशिश की जा सकती है ।
क्या हम लोग ये करना चाहते है । हमारे जैसे पढे लिखे लोग इस व्यवस्था से दूर भागते है । याह तक कि हम हमारा मतदान नही करते । इसकी वजह से ये लोग अनपढ गरीब लोंगोको पैसा बाट कर इस व्यवस्था में घूस जाते है ।
हमे इस्की जीमेवारी लेनी पढेगी इसके लिये कमर कस कर मैंदान में उतरना पडेगा हमारा मतदान का अधीकार सोच समझ कर इस्तेमाल करना होगा इस समाज के एसे लोगोका साथ देना पडेगा हमे इमानदारी से इस व्यवस्था से लढना पडेगा ।
आज सभी जगह से ये गुंज उठ रही है उसे हमे भी साथ देना पडेगा सिर्फ ओर सिर्फ मतदान का अधिकार ही इस पैसे वालोका मिजाज ठीक कर सकता है ।
हमारे पूर्व प्रधान मंत्री जी श्री देवेगौडा जी का ये बयान इस व्यवस्था से जुडा है। इसकी निर्भस्तना तो होनी ही चाहिये लेकीन उन्होने जो कहा वह होता है ओर हम सब ये जनते ही सारी राजनैतीक पार्टी ये व्यवहार चलाती है ।सिर्फ उनका गुन्हा इसे खुलेआम कबूल करना है ।
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