यादो के सीवा कुछ भी नही बचा हातमे
दिन भी बिछडे दोस्त भी बिछड गये
ओ दिन क्या चले गये सारे चमन भी उजड गये ।
क्या खूब थे ओ दिन वो शामे
असमान में घुमते जन्नत में रहते
ओ दिन क्या चले गये सारे आशियाने उजड गये।
क्या थी ओ दोस्तीया ओर दुष्मनीया
गपशप का ओ माहोल अदावों का जलवा
ओ दिन क्या चले गये सारे अड्डे उजड गये ।
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