Thursday, 7 July 2016

प्रित में हार ही जीत है ।



   प्रित में हार ही जीत है ।

जवानी के पथ पर प्रेमिका से हरना  
हार से  झुकना यही तो प्रीत है ।

प्रित में हार ही जीत है ।

गृहस्थाश्रम में पत्नी के हट से हरना 
संसार बोझ ढालना याही तो प्रीत है ।

प्रित में हार ही जीत है ।

चाहे नन्हें से लढाना लढ के हरना 
अपनी हार में उसका खील खिलना 
यही तो प्रीत है ।

प्रित में हार ही जीत है ।

खेल में हार के जितना जित के हारना 
खेल की भावना जागृत रखना 
याही तो खेल प्रीत है ।

प्रित में हार ही जीत है ।

बुढापे में  शारीर के  बोझ  से हारना 
अंत तक  उसकी रीत निभाना 
यही तो प्रीत है ।

 सुनील



No comments:

Post a Comment