Sunday, 28 August 2016

चित्र देखकर



जैसे ही चित्र देखा ये चित्र बहुत कुछ बोलके गया  । अपने माता पिता ने जो सुविधा हमे दे दी ओर ऊस वक्त का हमारा रवया याद आके हमे ये महसूस हुवा की हम कितने गलत थे । 

मनुष्य स्वभाव हमेशा उस दिशा कि ओर देखता है जहाँ उससे जादा संप्पनता हो । लेकिन जो आज उसे मिल  रहा है शायद किसी के नसीब मे इससे भी बहुत कम होगा इसका उसे अंदाज होता है पर वो उसकी तरफ देखना पसंत नही करता ।
हमे हमारे माता पिता के प्रती कृतज्ञ होना चाहीए ओर उनके बुडापे में जो उन्होने दिया  है उससे जादा
उनको लौटाना चाहिये 





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