Sunday, 28 August 2016

आंनद एक सहज वृत्ती है





                     आंनद एक सहज  वृत्ती है । यदी आपको इस वृत्ती को आपनाना है तो  अपने मन को इस के लिये तय्यार करना पडेगा ।उसे शिक्षित करना पडेगा । 
                    अपने मन  को समझणे के लिये आपको अपने मन कि बात सूननी पडेगी ।शायद आपको ये बात सुनकर  आश्यर्य होगा कि आप आपके मन की बात समज  नही  पाते है ।
                   आपके मनमे जो बात है उसको समजने के लिये आपको प्रशिक्षित होना पडेगा ।ये प्रशिक्षण आपको आपके मनसे प्राप्त होगा इसके लिये मन कि बात को ठिक तरीकेसे सूनने की आदत का अभ्यास करना  होगा ।
                       किसीभी आंनद को पाने के लिये मन का साथ होना अनीवार्य है ।  किसीं भी आंनद का उपभोग आप मन के सिवाय  प्राप्त कर नही सकते ।आंनद का उत्पत्ती स्थान ही मन है । आंनद का उपभोग स्थान भी मन हि है ओर आंनद का लय स्थान भी मन ही  है ।

                          मन प्रशिक्षण की जरुरत क्यु है ?

                    हमारा मन अनेको अनेक विचारओनसे भरा पडा होता है ।उसको अनेक मर्यादो  का पालन करना पडता है ।
                   उन्ही अनेक मर्यदोके उलझन में उसे अपना अस्तित्व खोजना पडता है । सही ओर गलत इसकी पहचान करने में उसकी बहुतसारी ताकत उसे जया करनी पडती है ।

                                        प्रशिक्षण कैसे दे 

                   मन अपने आप में उल्झे नही  इसके लिये हमारे आंनद की व्याख्या  बहुत स्पष्ट तरीकेसे समझानी  पडेगी 
जब आप आंनद की व्याख्या स्पष्ट करते हो तभी उसको ये भी सुनिश्चित करना पडेगा की उसी वक्त ओ किसी दुसरे उल्झन में न फसे 
 ये ही प्रशिक्षण मन को देना होगा ।





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