Saturday, 27 August 2016

आबादी नही बरबादी चाहिये ।कश्मीर




 ये शांत वादीयो का  कश्मीर 
क्यूँ शोलो से जुझ राहा है ।
नव जवानो में नफरत कि 
चिंगारी क्यूँ उलझ रही है ।

न बरबाद करो अपना घर 
न बरबाद करो अपना तन  ,मन 
इन दरिंदो को तुम्हारी 
आबादी नही बरबादी चाहिये ।

झुजते राहोगे कबतक 
इन ना खुदाओंके इशारोपर 
लहू अपना ही  बहेगा 
आसू अपने ही गिरेंगे 
हर एक मजहर पर 

ना पथर से ना प्यालेट से 
 हल न होगा  ये मसाला   
ये मसाला हल होगा तो
 आपसी भाईचारोसे 
तिरंगे के पर विश्वास से 


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