ये शांत वादीयो का कश्मीर
क्यूँ शोलो से जुझ राहा है ।
नव जवानो में नफरत कि
चिंगारी क्यूँ उलझ रही है ।
न बरबाद करो अपना घर
न बरबाद करो अपना तन ,मन
इन दरिंदो को तुम्हारी
आबादी नही बरबादी चाहिये ।
झुजते राहोगे कबतक
इन ना खुदाओंके इशारोपर
लहू अपना ही बहेगा
आसू अपने ही गिरेंगे
हर एक मजहर पर
ना पथर से ना प्यालेट से
हल न होगा ये मसाला
ये मसाला हल होगा तो
आपसी भाईचारोसे
तिरंगे के पर विश्वास से
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