कर्तव्य से जादा अधिकारो में व्यस्त है हमारा स्वातंत्र्य
हमारे भारत वर्ष में आजादी के पूर्व लोगोंको की जो उपेक्षा होती थी उन्ही की वजह से आजादी के बाद
लोग अपने कर्तव्य के प्रती जादा जागरूक होने के बजाय अपने अधिकारो के प्रती जादा जागरूक मालूम होते है
येही हमारे राष्ट्र के निर्माण में बाधा खडी कर देता है । अगर हम अपने अधिकार के जादा आग्रही होते है तब तब हम राष्ट्र से जादा अपने को केंद्र स्थानी मानते हुवे अपने सभी व्यवहारो की योजना बनाते है ।
यही वजह आज चारो तरफ दिखाई देती है सुनाई देती है जिसके कारण देश के सभी व्यवस्था में हमे हमे
अव्यवस्था दीखाई देने लगी है ।
इसका मूल कारण यही है की हमारी व्यवस्था आत्म केंद्रीत होने लगी है हमारे यहा Nation first बजाय हम ,मैं को जादा बडा बन रहा है इसके कारण देश का नुकसान देखने के बाद भी अपने निजी कार्य स्वार्था नुसार जारी रखते है।
अर्थकारण हो या खेल हो राजनीती हो या समाजकारण सभी क्षेत्रो में हमें ये कमी मेहसूस होती है । हरएक जगह
हमे अधिकारो के प्रती सजगता ओर कर्तव्य के प्रती लापरवाही पन नजर आता है ।
हरेक क्षेत्र में इसका दुष्परिणाम हमे दिखाई देने लगा है । अर्थकारण में कला धन ,खेल में अपयश ,राजनीती में भ्रष्टाचार ,समाज कारण में दुराचार ये हमारे उसी धोरण के फल है जीसीमे हमने देश से जादा हमारे हक पर
ध्यान दिया है ।
पुरे विश्व् में जो देश जादा उन्नत हो गये है उनमे जादा तर उन्ही देशो का जिक्र आता है जिनके याहा नागरिको ने अपने स्वार्थ के बजाय देश हीत को जादा तर प्राधान्य दिया है ।
जो देश अपने नागरीक को इस दिशा में चलने के लिये बाध्य नही करता ऊस देश का या तो खंडन होता है या किसीं अन्य देश का ऊसपे आक्रमण होता है ।
भारतीय होने के कारण ह्मने ये परिवर्तन बार बार देखा है । हमारे भारत के इतिहास में हमको ये स्थिती बार बार दिखाई देती है । क्यू इसका जबाब हमे धुंडने पर हमारे इतिहास से प्रकट होता है ।
जब जब देश के प्रती हमारी निष्ठा हमारा ममत्व कम होता है तभी हमारे पर आक्रमक ऊसका फायदा उठाते
हुवे हमपर आक्रमण किया है ।
भारत देश के सभी नागरिक एकजुठ हो कर यदी अधिकार के बजाय कर्तव्य के उपर अपना ध्यान केंद्रीत करे
तो ये राष्ट्र सबसे अधिक प्रगती कर सकता है ।
आओ हम सबमिलकर इस राष्ट्र को महान राष्ट्र बनायेंगे ।
हमारे भारत वर्ष में आजादी के पूर्व लोगोंको की जो उपेक्षा होती थी उन्ही की वजह से आजादी के बाद
लोग अपने कर्तव्य के प्रती जादा जागरूक होने के बजाय अपने अधिकारो के प्रती जादा जागरूक मालूम होते है
येही हमारे राष्ट्र के निर्माण में बाधा खडी कर देता है । अगर हम अपने अधिकार के जादा आग्रही होते है तब तब हम राष्ट्र से जादा अपने को केंद्र स्थानी मानते हुवे अपने सभी व्यवहारो की योजना बनाते है ।
यही वजह आज चारो तरफ दिखाई देती है सुनाई देती है जिसके कारण देश के सभी व्यवस्था में हमे हमे
अव्यवस्था दीखाई देने लगी है ।
इसका मूल कारण यही है की हमारी व्यवस्था आत्म केंद्रीत होने लगी है हमारे यहा Nation first बजाय हम ,मैं को जादा बडा बन रहा है इसके कारण देश का नुकसान देखने के बाद भी अपने निजी कार्य स्वार्था नुसार जारी रखते है।
अर्थकारण हो या खेल हो राजनीती हो या समाजकारण सभी क्षेत्रो में हमें ये कमी मेहसूस होती है । हरएक जगह
हमे अधिकारो के प्रती सजगता ओर कर्तव्य के प्रती लापरवाही पन नजर आता है ।
हरेक क्षेत्र में इसका दुष्परिणाम हमे दिखाई देने लगा है । अर्थकारण में कला धन ,खेल में अपयश ,राजनीती में भ्रष्टाचार ,समाज कारण में दुराचार ये हमारे उसी धोरण के फल है जीसीमे हमने देश से जादा हमारे हक पर
ध्यान दिया है ।
पुरे विश्व् में जो देश जादा उन्नत हो गये है उनमे जादा तर उन्ही देशो का जिक्र आता है जिनके याहा नागरिको ने अपने स्वार्थ के बजाय देश हीत को जादा तर प्राधान्य दिया है ।
जो देश अपने नागरीक को इस दिशा में चलने के लिये बाध्य नही करता ऊस देश का या तो खंडन होता है या किसीं अन्य देश का ऊसपे आक्रमण होता है ।
भारतीय होने के कारण ह्मने ये परिवर्तन बार बार देखा है । हमारे भारत के इतिहास में हमको ये स्थिती बार बार दिखाई देती है । क्यू इसका जबाब हमे धुंडने पर हमारे इतिहास से प्रकट होता है ।
जब जब देश के प्रती हमारी निष्ठा हमारा ममत्व कम होता है तभी हमारे पर आक्रमक ऊसका फायदा उठाते
हुवे हमपर आक्रमण किया है ।
भारत देश के सभी नागरिक एकजुठ हो कर यदी अधिकार के बजाय कर्तव्य के उपर अपना ध्यान केंद्रीत करे
तो ये राष्ट्र सबसे अधिक प्रगती कर सकता है ।
आओ हम सबमिलकर इस राष्ट्र को महान राष्ट्र बनायेंगे ।
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