Monday, 15 August 2016

युद्ध के कगार पर खडा





भारत ओर पाकिस्तान के रिश्ते में फीर एकवार  ऐसा मोड आया है कि शायद इसका अंत युद्ध के कगार  पर खडा हुवा है ।

इसबार सभी  घटना ओमे  एक मुलं फरक है । भारत में जो सरकार है उसे युद्ध से परहेज नाही है । काँग्रेस शासन  हमेशा युद्ध से दूर भगता रहा है । कांग्रेस शांतिदूत के फ्रेम में अटक के हमेशा किसी ना किसी के दबाव में आकर हमेशा युद्ध को टालता आया है ।

आतंकवाद  ये समस्या के रूप में पुरे विश्व्  के सामने रखने में वर्तमान सरकार ने कोई कसर नाही छोडी है ओर विश्व् में  घटती आतंककी  घटनाओनसे उसे बल मीला है । विश्व् ये भी जान चुका है की इसका मूल उत्पत्ती स्थान पाकिस्तान ओर  उसके आसपास  ही है।

आज तक पुरा यूरोप भारत में जो भी आतंकी घटनाये होती थी उस घटनाओंका विश्लेषण दो  देशो के संधरबमें करता था ओर उसे दो देशो का मामला बताते हुवे उससे दूर भागकर अपना निजी स्वार्थ किसमे है इसका अध्ययन करके उन्ही देशको अपना समर्थन देता था ।

आज तक पाकिस्तान ने इसी तारिकेका फायदा उठते  अपनी  आतंकी दुकान हमेशा  स्वस्थ राखी थी ।
९/११ के बाद समुचा यूरोप जाग उठा अमरिका जिस देश के  संसाधनोओ पर मदत  पे पाकिस्तान पलताथा उसी थाली में छेद करने का ये मसाला बन गया ।

इतना ही नही इन आतंकीयोने पुरा यूरोप अपने आतंकी गतिविधी से त्रस्त कर दिया आज पुरा विश्व् चीन को
छोडकर पाकिस्तान के विरोध में खडे होते दीख रहे है इतना हि नही समुचय अरब तबका भी जो एक जमाने इनका आर्थिक भार झेलता था ओ भी अब इन से अलग दीखाने की कोशीश मी जाटा है ।

पाकिस्तान का आवाम भी इस आतंक की चपेट में त्रस्त है ओर इससे निजाद चाहता है । लेकीनं जो चीज निजी स्वार्थ के लिये इन के राज्यकर्ताओ ने इसस्तेमाल कि है उसे दूर करना अब उनके नियंत्रण में नही है । उलटा अब इनका नियंत्रण आतंक के हात में चला गया है ।

एक जरुरी बात है की आज भी इन की ताकत इतनी नही की ये किसी देश की सेना के खिलाप लढ सकते है ।
इसी लिये छोटे मोटे  आतंकी हमले कर ये लोगो के मन मी अपने प्रती भय निर्माण करणे में जुटे है । इनके पीछे सिर्फ ओर सिर्फ सेना के रूप में ताकत है ओ है पाकिस्तान सेना  उन्ही के बलबुते पर ये अपना आतंकी अभियान आगे बडा रहे है ।

इन्ही  संरचना ओर  इन की  बढती कारवाई देखते हुवे भारत को ही इनसे युद्ध करना होगा शायद समुचा विश्व अपना बल ओर राजकीय समर्थन भारत के पीछे खडा करेगा ।
आतंक का सफाया भारत के नेतृत्व में करना ये एक अनिवार्य काम बन गया  है ।








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