एक साक्षी थी वो बस नही
सिंधू क्या जित गई
हम पुरषो कि तो वाट लग गई ।
जितने भी गये थे
खाली हात लौट आये
ओ रिओ जाते ताणें हंम सूनते ।
पुरुषो के बिना नारी है अधुरी
ये पहले कभी सुना था
अब रिओ के बाद नारी है पुरी
पुरुषोकी बात बकवास सारी ।
आगले ओलम्पिक तक
पुरषो अब तयार रहो
अपने इज्जत का लिहाज करो
तुलना होगी अब भारी
घर के नरी का सम्मान करो
करो नारी जात का जयजयकार ।
अब नारी का मत करो अपमान
अब नारी को देदो उस्का स्थान
अब रखोगे रोब जारी
पिट जाओगे सालो
न करेगा कोई अनमान।
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