Friday, 19 August 2016

एक साक्षी थी


एक साक्षी थी वो बस नही
सिंधू क्या जित गई
हम पुरषो कि तो वाट लग गई ।

जितने भी गये थे
खाली हात लौट आये
ओ रिओ जाते ताणें हंम  सूनते ।

पुरुषो के बिना नारी है अधुरी
ये पहले कभी सुना था
अब रिओ के बाद नारी है पुरी
पुरुषोकी  बात बकवास सारी ।

आगले  ओलम्पिक तक
पुरषो अब तयार रहो
अपने इज्जत का लिहाज करो
तुलना होगी अब भारी
घर  के नरी का सम्मान करो
करो नारी जात का जयजयकार ।

अब नारी का मत करो अपमान
अब नारी को देदो उस्का स्थान
अब रखोगे रोब जारी
पिट जाओगे सालो
 न करेगा कोई अनमान।





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