मैने तो ये दीवाली नही मनाई
वीरोंको अपने लड़ते देखकर
मैं त्यौहार कैसे मनाऊ
ये तो हो सकता नही
सरहदों के पार का दामन न पाक मौत का व्यपार चाहते वो
उन्हीसे लढते वीरगती पाते आनंद कैसे मनाऊ
ये तो हो सकता नही
गये है कितने सपूत वीरगती पाके घरमें उनके छाई है अँधेरे की रजाई
ऐसे में मैं कैसे सजाउ दीवाली की रोशनाई
ये तो हो सकता नही
अगर तुम चाहते तो मनवो दीवाली
ओ लड़ते उसी के लिए की तुम शांती से मानवो दीवाली
इतना जरूर करना उनकी सलामती के लिए
अगर हो सके तो एक दिया जरूर जलाना
इतना तो जरूर हो सकता है
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