माझ्या मराठी हिंदी कविता ,लेख ,कथा
Thursday, 28 April 2016
मनको जो भाता
मनको जो भाता
वही जन को बताता हु |
संत वचन में रहता हु
गुरु के चरणों में झुकता हु |
न आस्तिकता का करता हु दंभ
न नास्तिकता का की राह पकड़ता
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