घर के लिये मैं घर छोडता हूं ।
आशियाना मेरा संजाने की चाहत
इसीलिये करताहू जी जान से मेहनत
अशियाने से मेरी येही है मोहब्बत ।
घर के लिये मैं घर छोडता हूं ।
सजाली है मनमे मैने घरकी मूरत
इसी लिये मै करताहू उसकी इबादत
इसी घरने सिखायी है प्यार मोहब्बत
इसे लौटाना चाहता हूं वही रियासत ।
घर के लिये मैं घर छोडता हूं ।
नन्हा स था तभी इस घरने दि है नसीहत
न कोयी छोटा बडा अपने पनसे बढती है किंमत
तरक्की के लिये घुमूंगा देश विलायत
पर घर की याद सतायेगी अलबत ।
घर के लिये मैं घर छोडता हूं ।
आऊंगा मैं इसकी गोद में आखरीयत
यहांसे ही मिलेगी वो आखरी राह की नसीहत
इसी के छाव में पाऊंगा मैं उपरवाले की आखरी इजाजत
घर के लिये मैं घर छोडता हूं
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